टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करें कुलपति- राज्यपाल

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कुलपति बैठक में वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च पर आधारित शोध की शुरुआत

राज्यपाल ने किया यूटीयू की ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ

देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने गुरुवार को राजभवन में राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक ली। बैठक में सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति और शासन के उच्चाधिकारी मौजूद रहे। राज्यपाल ने कहा कि सभी विश्वविद्यालय राज्य हित में योगदान हेतु उनकी विशेषज्ञता के आधार पर एक-एक शोध प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि वन यूनिवर्सिटी-वन रिसर्च पर आधारित यह शोध राज्य के विकास और लोगों के जीवन उन्नयन हेतु उपयोगी साबित हो। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय एक वर्ष तक अपने गहन शोध के माध्यम से अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करें, जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। विश्वविद्यालय अपनी विशेषज्ञता के अनुसार अपने शोध के विषय चयन करेंगे।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालय के शोध के आधार पर तैयार दस्तावेज को जमीनी स्तर पर लागू किये जाने हेतु इसे सरकार से साझा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के शोध एवं अनुसंधान का लाभ लोगों को मिले तभी इसकी सार्थकता होगी। बैठक में सभी कुलपतियों द्वारा शोध किये जाने वाले विषयों पर अपने अपने प्रस्तुतिकरण दिये।

राज्यपाल ने कहा कि कुलपति डिजिटलीकरण, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए विश्वविद्यालयों में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों की प्रत्येक कार्यप्रणाली में तकनीक का अधिक से अधिक उपयोग करने के निर्देश दिये। राज्यपाल ने नवीन तकनीकों पर आधारित विश्वविद्यालयों की बेस्ट प्रेक्टिसिज को आपस में साझा करने पर भी जोर दिया। राज्यपाल ने कहा कि विद्यार्थियों को अच्छे संस्थानों में चयनित किये जाने हेतु विशेष प्रयास किये जाए इसके लिए शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए।

राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों व शोधकर्ताओं को प्रोत्साहित करने हेतु बेस्ट टीचर व बेस्ट रिसर्चर्स अवॉर्ड शुरू किये जाने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इससे शिक्षक व शोधार्थी प्रेरित होंगे और वे अधिक ऊर्जा के साथ कार्य करेंगे। राज्यपाल ने विश्वविद्यालयों में ई-लाइब्रेरी स्थापित किये जाने हेतु भी कुलपतियों को निर्देशित किया। उन्होंने कहा कि तकनीकी की इस दौर में ई-लाइब्रेरी का होना बेहद जरूरी है जिसमें छात्रों के लिए पाठ्य सामग्री ऑनलाइन उपलब्ध रहें।

इस दौरान राज्यपाल ने वीर माधो सिंह भंडारी उत्तराखण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूटीयू) की ई-लाइब्रेरी का शुभारंभ भी किया। इस ई-लाइब्रेरी में 7.24 लाख पाठ्यसामग्री उपलब्ध हैं। इसमें एक हजार से अधिक विश्वविद्यालयों के ई-शोध पत्र, एक लाख से अधिक वीडियो लेक्चर और 19 हजार से अधिक ई-बुक्स उपलब्ध रहेंगी।

बैठक में यूटीयू के कुलपति प्रो. ओंकार सिंह ने विश्वविद्यालय द्वारा दिये जाने वाले अंक तालिका एवं उपाधियों में सुरक्षा विशेषता संबधी प्रस्तुतिकरण दिया। उन्होंने बताया कि छात्रों को दी जाने वाले उपाधि व अंक तालिकाओं में 25 सुरक्षा विशेषता हैं जो डुप्लिकेसी की संभावना को खत्म करेगी इसकी शुरूआत विश्वविद्यालय द्वारा कर दी गई है। उन्होंने इसक लाइव डेमो भी दिया। उन्होंने विश्वविद्यालय में प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण से संबंधित अन्य नवाचारों की भी जानकारी दी। राज्यपाल ने तकनीकों पर आधारित नवाचारों के लिए उन्हें शाबासी दी।

इस बैठक में राज्यपाल ने कुलपतियों द्वारा विश्वविद्यालय में किए जा रहे नवाचारों की सराहना की और अधिक बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की चुनौतियों के समाधान के लिए वे हमेशा तत्पर रहेंगे। बैठक में विश्वविद्यालयों द्वारा संस्थानों की संबद्धता सहित अन्य बिन्दुओं पर भी विस्तृत चर्चा की गई।

बैठक में सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय, चंद्रेश कुमार यादव, दीपेंद्र चौधरी, विधि परामर्शी राज्यपाल अमित कुमार सिरोही, अपर सचिव स्वाति एस भदौरिया, डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव, डॉ विजय जोगदंडे, नमामि बंसल सहित राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय डॉ.ओ.पी.एस नेगी, कुलपति श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रो. एन के. जोशी, कुलपति जी.बी.पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय डॉ. मनमोहन चौहान, कुलपति आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय प्रो. अरुण कुमार त्रिपाठी, कुलपति उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय प्रो. दिनेश चंद्र शास्त्री, कुलपति चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय प्रो. हेमचन्द्र, कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय दीवान सिंह रावत, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, कुलपति औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय डॉ. परविंदर कौशल और कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट आदि उपस्थित रहे।

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