Shiv Temple Tungnath : जाने उत्तराखंड में कहाँ है बर्फ़ से घिरा शिव का सबसे ऊँचा मंदिर
Shiv Temple Tungnath: उत्तराखंड अपनी धर्म और आस्था के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। वही उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित एक शिव मंदिर तुंगनाथ जो भगवान शिव के पंच केदारों में से एक के रूप में पूजा जाता हैं। तुंगनाथ ,टोंगनाथ पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर को 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। यह पंच केदारों में सबसे ऊँचाई पर स्थित है। साथ ही यह समुद्र की सतह से 3680 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है
Shiv Temple Tungnath:
उत्तराखंड के तुंगनाथ मंदिर मान्यताएं –
पौराणिक कथाओं के आधार पर यह माना जाता है कि जब व्यास ऋषि ने पांडवों को सलाह दी थी कि महाभारत युद्ध के दौरान जब पांडवों ने अपने चचेरे भाई की हत्या की थी। तो उनका यह कार्य केवल भगवान शिव द्वारा माफ़ किया जा सकता था। इसलिए पांडवों ने शिव से माफ़ी मांगने का निर्णय लिया। पर भगवान शिव उनसे बहुत नाराज थे इसलिए उन्हें माफ़ नहीं करना चाहते थे। इसलिए पांडवों को दूर रखने के लिए, शिव ने एक बैल का रूप ले लिया और हिमालय को छोड़ कर गुप्तकाशी चले गए लेकिन पांडवों ने उन्हें पहचान कर वहा भी उनका पीछा किया। लेकिन बाद में शिव ने अपने शरीर को बैल के शरीर के अंगों के रूप में पांच अलग-अलग स्थानों पर डाला। जिसमे से तुंगनाथ तृतीया केदार के रूप में पूजा जाता है। जहां पांडवों ने उनसे माफी और आशीषों की मांग करते है तथा प्रत्येक स्थान पर भगवान शिव के मंदिरों का निर्माण किया।
Shiv Temple Tungnath:
शीतकाल के लिए बंद :
Shiv Temple Tungnath: भगवान तुंगनाथ छह माह की शीतकालीन पूजा-अर्चना के लिए अपने शीतकालीन गद्दीस्थल मार्कण्डेय मंदिर मक्मूमठ में विराजमान किए जाते है। उस दौरान मंदिर कपाट बंद रहते हैं। जनवरी व फरवरी के महीने में यह आमतौर पर बर्फ की चादर ओढ़े लेता है। बर्फ गिरी होने के कारण से वाहन की यात्रा कम और पैदल यात्रा अधिक होती है। मई से नवंबर तक यहां कि यात्रा की जा सकती है।
Shiv Temple Tungnath:
आकर्षण का केंद्र तुंगनाथ मंदिर :
Shiv Temple Tungnath: उत्तराखंड अपनी आस्था और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण हैं। तुंगनाथ चोपता की ओर बढते हुए रास्ते में बांस और बुरांश का घना जंगल और मनोहारी दृश्य पर्यटकों को लुभाते हैं। यहां से तीन किमी की पैदल यात्रा के बाद तेरह हज़ार फुट की ऊंचाई पर तुंगनाथ मंदिर है। इस मंदिर में शिव भगवान की भुजाओं की पुजा की जाती हैं। तुंगनाथ का मंदिर अपने सौन्दर्य और वास्तुशिल्प के लिए भी जाना जाता है साथ ही जुलाई-अगस्त के महीनों में पर्यटकों को यहां कि सुंदरता देखते ही बनती है। इन महीनों में यहां मीलों तक फैले मखमली घास के मैदान और उनमें खिले फूलों की सुंदरता देखने योग्य होती है। यह असाधारण क्षेत्र श्रद्धालुओं और पर्यटकों की साधारण पहुंच में है। इसीलिए अनुभवी पर्यटक इसकी तुलना स्विट्जरलैंड से करते है।
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