Uttarakhand Millets : मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने की दिशा में उत्तराखंड को बड़ा झटका

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Uttarakhand Millets : मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने की दिशा में उत्तराखंड को बड़ा झटका लगा है..मंडुवे का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किए जाने के बाद केंद्र ने झंगोरे का एमएसपी घोषित करने से मना कर दिया है..इससे मिलेट को प्रोत्साहित करने के सरकार के प्रयासों को झटका लगा है.

उत्तराखंड में करीब सोलह लाख मीट्रिक टन का उत्पादन होता है..जिसमें मंडुवे के बाद सबसे अधिक झंगोरे की खेती होती है..मोटे अनाज की बढ़ती डिमांड को देखते हुए राज्य सरकार अपने यहां होने वाले मंडुवा का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कराने में कामयाब रही..जिसका सीधा फायदा किसानों को पहुंचा..राज्य सरकार चाहती थी कि झंगोरे का भी समर्थन मूल्य घोषित कर दिया जाए.लेकिन, इसके सीमित उत्पादन को देखते हुए केंद्र ने एमएसपी घोषित करने से मना कर दिया है..कृषि मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि राज्य सरकार अब अपने लेवल पर इसका समर्थन मूल्य तय करेगी.

– उतराखंड में एक लाख 13 हजार मीट्रिक टन मंडुवे का उत्पादन होता है
– दूसरे नंबर पर 61 हजार मीट्रिक टन झंगोरा उगाया जाता है
– इसी तरह तीसरे नंबर पर पांच हजार मीट्रिक टन से अधिक रामदाना का उत्पादन होता है

दरअसल, उत्तराखंड के पहाडी इलाकों में परंपरागत रूप से मंडुवा, झंगोरा, रामदाना उगाया जाता है. किसानों की आय दुगनी करने में सरकार इसे एक गोल्डन अवसर के रूप में देख रही है..सरकार ने इसकी मार्केटिंग के लिए भी बजट में अलग से व्यवस्था की है.

मार्केट न होने के कारण उत्तराखंड में मोटे अनाज के उत्पादन को घाटे का सौदा माना जाता रहा है..लेकिन अब तस्वीर बदल गई है..मोटा अनाज के प्रचार प्रसार के शनिवार से देहरादून में चार दिवसीय मिलेट महोत्सव भी आयोजित किया जा रहा है..जिसका उदघाटन स्वयं केंद्रीय कृषि मंत्री नरेद्र तोमर करेंगे.

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