Migration In Uttarakhand : उत्तराखंड में पलायन के दंश से 1,702 गांव बने घोस्ट विलेज

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Migration In Uttarakhand : पलायन के दंश से उत्तराखंड नहीं उभर पा रहा है देखते ही देखते पलायन अब नासूर बनता जा रहा है। प्रदेश के पर्वतीय इलाकों में 1702 गांव घोस्ट विलेज बन चुके हैं।

 

Migration In Uttarakhand : Migration In Uttarakhandगांव से पलायन :

देश में कोरोना महामारी के कारण लोग लॉकडाउन लगने पर पलायन कर चुके हजारों लोग तक अपने गांव वापस लौटे थे। जिससे यहां के गांव से पलायन ना होने की उम्मीद एक बार फिर जगी थी। लेकिन लॉकडाउन खत्म होने के बाद एक बार फिर से हजारों की संख्या में गांव से पलायन हुआ। ग्रामीण विकास व पलायन रोकथाम आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी का कहना है कि राज्य के पर्वतीय गांव में अब केवल 5 से 10% लोग ही रह रहे हैं उन्होंने बताया कि प्रदेश के गांव से सवा लाख लोग पलायन कर चुके हैं। Migration In Uttarakhand

Migration In Uttarakhand :  पलायन के दंश ने सबसे ज्यादा अल्मोड़ा और पड़ी जिले को प्रभावित किया है यहां के गांव से 1.18 लाख स्थानीय लोग शहरों में पलायन कर चुके हैं। एसएस नेगी का कहना है कि ज्यादातर लोग अपने जीवन को बेहतर बनाने और शहरों में बेहतर रोजगार के लिए पलायन किया है इतना ही नहीं प्रदेश कि गांव से मैदानी जिलों में भी पलायन लगातार जारी है।

 

 

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