Metro in Uttarakhand : सरकार के विदेशी दौरों और करोड़ो खर्च के बाद भी सालो से ठप है ये योजना
Metro in Uttarakhand :
मेट्रो का सपना आज भी अधूरा ,राह देख रहा आम आदमी
राजधानी में मैट्रो, रोपवे के बाद आम आदमी की नजरें ,मेट्रो नियो पर अटकी हुई है कई सालों से मेट्रो के नाम पर सिर्फ राजधानी में बाते ही हो रही है मगर जमीन पर काम दिखाई नही दे रहा है सरकार अभी भी मेट्रो नियो के नाम पर महीने का 50 लाख रुपये खर्च कर रही है मगर सालो से हो रहे प्रेजेंटेशन के बाद भी मेट्रो प्रोजेक्ट में ज्यादा कुछ नही हो पाया है
मेट्रो सिर्फ रह गयी सपना बन कर :
राजधानी में मेट्रो , सुनहरे सपने की तरह बनकर रह गयी है 4 सालो से मंत्री सचिव विदेशी दौरों में लाखों खर्च कर चुके है मगर एक फाइनल प्लान तैयार नही कर पाए है पहले मेट्रो की बात हुई, फिर लाइट रेल ट्रांजिट की, फिर रोप वे और अब नियो मेट्रो की बात हो रही है.
Metro in Uttarakhand
इस इस रूट से होकर जानी थी मेट्रो,कब कब हुआ बदलाव :
Metro in Uttarakhand : 2017 में मेट्रोपोलिटन क्षेत्र घोषित किया गया था, देहरादून हरिद्वार और ऋषिकेश के लिए उसके बाद सिर्फ आम लोगो को मेट्रो के सपने दिखाए गये। तब से आजतक जाम से झुझते लोग मेट्रो में सफर का सपना देख रहे है
4 साल का वक्त बीत जाने के बाद आजतक एक ईट मेट्रो के नाम पर नही लगाई गई है जबकि साल 2017 में मेट्रो की घोषणा की गई थी
अब कितना हो रहा है मेट्रो के नाम पर महीने का खर्च :
Metro in Uttarakhand : इस कार्यालय में 28 से 30 लोग काम कर रहे है इन कर्मचारियों की तनख्वा और अन्य खर्च को मिलाकर 50 लाख प्रति महीना खर्च होता है देखा जाए तो 2017 से अब तक करोड़ो रूपये कुछ हो चुके है मगर अभी भी कुछ हासिल नही हो पाया
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