गंगा जन्मोत्सव के दिन ही हुआ था माँ गंगा अवतरण,हरिद्वार में उमड़ा जनसैलाब

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आज मां गंगा का जन्मोत्सव है,  पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मोक्षदायिनी मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान शिव की जटाओं में पहुंची थीं और शिव की जटाओं  से होते हुए माँ गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था इसलिए इस दिवस को गंगा सप्तमी के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन तीर्थ पुरोहित और श्रद्धालु बड़े ही उत्साह के साथ गंगा में स्नान पूजन कर पूण्य की कामना करते हैं कहा जाता है कि इस दिन मां गंगा का पुनर्जन्म हुआ था। गंगा को सभी मां के रूप में पूछते हैं उसमें श्रद्धालु हो तीर्थ पुरोहित हो या साधु संत तीर्थ पुरोहित और ज्योतिषाचार्य प्रतीक मिश्रपूरी का कहना है कि गंगा सप्तमी विशेष रूप से मनाई जाती है क्योंकि आज के दिन मां गंगा स्वर्ग से उतर कर शिव की जटाओं में आई थी और धरती पर गंगा का अवतरण हुआ था इस दिन मध्यान काल में मां गंगा की पूजा का विधान है इसमें सात प्रकार के फल सात प्रकार के रंग सात प्रकार के वस्त्र और सात प्रकार की मिठाई के साथ ही चांदी के बने कछुए और मछली गंगा को अर्पण की जाती है

संतों का कहना है कि जिन्हें संतान की प्राप्ति नहीं होती वह आज के दिन गंगा का पत्थर घर में रखकर पूजा करें तो उसे संतान की प्राप्ति होती है जिनको पद प्रतिष्ठा चाहिए वह सात प्रकार की औषधि गंगा को अर्पित करते हैं जिन्हें धन की कमी है वह सात प्रकार के वस्त्र गंगा को चढ़ाए जिनकी संपत्तियों के विवाद है साथ ही कोई मुकदमा चल रहा है उनको सात प्रकार के फल गंगा को चढ़ाने चाहिए इनका कहना है कि तीर्थ पुरोहितों को गंगा पुत्रों की उपाधि मिली है इसलिए आज के दिन तीर्थ पुरोहित हर्षोल्लास के साथ मां गंगा का जन्म उत्सव मनाते हैं।

 

स्वर्ग में मां गंगा को मंदाकिनी और पाताल में भागीरथी कहते हैं माँ गंगा के विभिन्न रूपो की इस दिन विशेष पूजा अर्चना होती हैं कहा जाता है मां गंगा में एक बार डुबकी लगाने से लाखों जन्मों के पाप भी धूल जाते हैं हरिद्वार तीर्थ पुरोहित बड़े उत्साह से माँ गंगा का जन्मोत्सव मनाते हैं परोहित समाज द्वारा मां गंगा की शोभायात्रा निकाली जाती है जो हरिद्वार में भ्रमण कर देर शाम हर की पौड़ी पहुंचती है और फिर मां गंगा का दूध अभिषेक किया जाता है हरकीपौड़ी पर माँ गंगा की पूजा के बाद गंगा की आरती की जाती है।

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