Uniform Civil Code : क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड ? उत्तराखंड में लागू !
Uniform Civil Code : उत्तराखंड के बतौर दूसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के बाद पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर एक्टिव मोड़ में नज़र आ रहे है। चुनाव से पहले किए वादों को पूरा करने के लिए सीएम धामी ने प्लान तैयार कर दिया है और वह अब एक के बाद अपने प्लान को पूरा करने की ओर बढ़ते दिखाई दे रहे है। तो वहीं धामी कैबिनेट में पुष्कर सिंह धामी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने के विषय पर मुहर लगा दी है। चुनाव से पहले धामी ने सरकार बनने के बाद इस कोड़ को लागू करने की बात कही थी।
Uniform Civil Code :
यूनिफॉर्म सिविल कोड :
यूनिफॉर्म सिविल कोड को समान नागरिक संहिता भी कहा जाता है। आम भाषा में समझें तो यूनिफॉर्म सिविल कोड का सीधा मतलब है देश के हर नागरिक के लिए एक समान कानून। फिर भले ही वह किसी भी धर्म या जाति से ताल्लुक क्यों न रखता हो। जिसके तहत एक शहरी किसी भी धर्म-मज़हब से संबंध रखता हो सभी के लिए एक ही कानून होगा। इसको धर्मनिर्पेक्ष कानून भी कहा जा सकता है।
यूनिफॉर्म सिविल कोड बिना किसी धर्म के दायरे में बंटकर हर समाज के लिए एक समान कानूनी अधिकार और कर्तव्य को लागू किए जाने का प्रावधान है। हालांकि देश का कानून तो सभी के लिए बराबर है लेकिन इसका मतलब विवाह, तलाक और जमीन जायदाद के मामलों में सभी धर्मों के लिए एक ही कानून होगा। धर्म के आधार पर किसी भी समुदाय को कोई विशेष लाभ नहीं मिल सकता है।
एक कानून होगा लागू :
Uniform Civil Code : यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होने की स्थिति में राज्य में निवास करने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर एक कानून लागू होगा। कानून का किसी धर्म विशेष से कोई ताल्लुक नहीं रह जाएगा। ऐसे में अलग-अलग धर्मों के पर्सनल लॉ खत्म हो जाएंगे। भारत के संविधान में अनुच्छेद 44 में यह उल्लेख किया गया है कि नागरिकों के लिए देश के पूरे क्षेत्र में एक समान अधिकार हो तथा समान नागरिक संहिता की रक्षा करना राज्य का प्रमुख कर्तव्य है। उत्तराखंड से पहले गोवा ही सिर्फ राज्य है, जहां कॉमन फैमिली लॉ है। यहां पर्सनल लॉ बोर्ड के आधार पर नहीं बल्कि एक आम कानून के जरिए मामलों पर सुनवाई होती है।
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